विश्व का इतिहास THINGS TO KNOW BEFORE YOU BUY

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पू. की दूसरी शताब्दी में पतंजलि ने अष्टाध्यायी पर महाभाष्य लिखा। यास्क ने निरुक्त (ई.पू. पाँचवीं शताब्दी) की रचना की, जिसमें वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति का विवेचन है। वेदों में अनेक छंदों का प्रयोग किया गया है।

मोरक्को निवासी इब्नबतुता द्वारा रचित किताब-उल-रेहला से मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल की जानकारी मिलती है। 

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इतिहास॒स्य च वै॒ स॒ पुराण॒स्य च गा॒थानां च नाराशंसी॒नां च प्रियं॒ धा॒म भवति य॒ एवं॒ वे॒द ॥

बुगरा खाँ एवं उसके बेटे कैकुबाद के मिलन का वर्णन है।

ब्राह्मण साहित्य प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोत हैं। यद्यपि भारत का प्राचीनतम् साहित्य प्रधानतः धर्म-संबंधी ही है, फिर भी ऐसे अनेक ब्राह्मण ग्रंथ हैं जिनके द्वारा प्राचीन भारत की सभ्यता तथा संस्कृति पर प्रकाश पड़ता है। ब्राह्मण साहित्य के अंतर्गत वेद, ब्राह्मण, उपनिषद्, महाकाव्य, पुराण, स्मृतियाँ आदि आती हैं। वे निम्नलिखित हैं-

सातारा जिल्ह्यातील वाई तालुक्याजवळ मांढरदेवीचं मंदिर एका डोंगरावर वसलेलं आहे.

सिंधु घाटी सभ्यता में चौड़ी सड़कें और सुविकसित निकास प्रणाली भी स्थित थे।

प्रभावकचरित -- जैन आचार्य प्रभाचन्द्र द्वारा १२७७-७८ ई में रचित एक इतिहास-ग्रन्थ

इतिहास मनुष्य का अध्ययन है। यह समय और स्थान में मनुष्य से संबंधित है। यह अतीत के प्रकाश में वर्तमान की व्याख्या करता है। निरंतरता और सुसंगति इतिहास की आवश्यक आवश्यकताएं हैं। इतिहास का दायरा विशाल है; यह उसके व्यवहार की समग्रता के संबंध में मनुष्य की कहानी है।

इस प्रकार ब्राह्मण साहित्य से प्राचीन भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है, किंतु राजनीतिक इतिहास की अपेक्षित जानकारी नहीं मिल पाती है।

यह ग्रंथ अब्बास खां शेरवानी ने अकबर की आज्ञा से लिखा था। उसने इसका नाम ‘तोहफत-ए-अकबरशाही’ रखा था, किन्तु कुछ वर्षों बाद अहमद यादगार ने ‘तारीख-ए-सलातीन-ए-अफगान’ नामक ग्रंथ लिखा, उसने इस पुस्तक को ‘तारीख-ए-शेरशाही’ के नाम से संबोधित किया तथा वह इसी नाम से प्रसिद्ध है।

इस प्रकार एक कुशल इतिहासकार सम-सामयिक साहित्यिक और पुरातात्त्विक सामग्री का समन्वित उपयोग कर more info पूर्वाग्रह से मुक्त होकर अतीत का यथार्थ चित्र प्रस्तुत करने का प्रयास करता है।

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